रियल एस्टेट को मिले इन्फ्रास्ट्रक्चर का दर्जा, पढ़िए क्या हैं सेक्टर को बजट से उम्मीदें

रियल एस्टेट को मिले इन्फ्रास्ट्रक्चर का दर्जा, पढ़िए क्या हैं सेक्टर को बजट से उम्मीदें:


नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। 1 फरवरी 2018 को पेश होने वाले आम बजट से देश के रियल एस्टेट सेक्टर को कई बड़ी उम्मीदें हैं। इन उम्मीदों में किफायती आवास श्रेणी के दायरे को बढ़ाया जाना और जीएसटी की मौजूदा दर को 12 फीसद से घटाकर 6 या 8 फीसद किया जाना प्रमुख रुप से शामिल है। हम अपनी इस बजट विशेष सीरीज में आपको एक्सपर्ट की राय के साथ बताने की कोशिश करेंगे कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के पिटारे से रियल एस्टेट सेक्टर क्या कुछ चाहता है। गौरतलब है कि आगामी आम बजट केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का चौथा और एनडीए सरकार का आखिरी पूर्णकालिक बजट होगा।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट: रियल एस्टेट डेवलपर अंतरिक्ष इंडिया ग्रुप के चैयरमैन और फाउंडर राकेश यादव ने बताया कि रियल एस्टेट सेक्टर की प्रमुख मांग यह है कि पूरे रियल एस्टेट को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दे दिया जाना चाहिए। साथ ही राकेश यादव का यह भी कहना है कि अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी (निर्माणाधीन प्रॉपर्टी) पर जीएसटी दरों में कमी लाई जानी चाहिए। इसके अलावा रियल एस्टेट सेक्टर यह भी चाहता है कि जो भी नए प्रोजक्ट आएंगे उसमे टैक्स छूट दी जाए। साथ ही उनका यह भी कहना है कि रियल एस्टेट सेक्टर में जो 2 लाख रुपए के कैश लेन-देन की लिमिट लगाई जा चुकी है उसे बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि इस सेक्टर में कैश लेनदेन ज्यादा होता है।
कर की दरों से परेशान है रियल एस्टेट सेक्टर:
एडाएक्वेयर के सीईओ एवं बोर्ड अध्यक्ष पवन पीचारा ने बताया“अचल संपत्ति कारोबार क्षेत्र की प्रमुख चिंता इनपुट यानी सीमेंट पर ऊंची कर दर है, जो कि मौजूदा समय में 28 फीसद है। जबकि कई अन्य कामों पर अनुबंधित कर दर 12 फीसद निर्धारित है। अभी भी सभी निर्माण गतिविधि के लिए 18 फीसद की एक डिफॉल्ट दर निर्धारित है। सीमेंट को पेंट, रेफ्रिजरेटर और वाशिंग मशीन के साथ ही लग्जरी आइटम्स में शामिल किया गया है। इन सभी का अचल संपत्ति क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अब बिल्डिंग की लागत और उसकी फिनिशिंग इसके अनुमान (जो होनी चाहिए) से ज्यादा है। अन्य देश जो मानक दरें लागू करते हैं उसके हिसाब से भारत में सीमेंट, पेंट, रेफ्रिजरेटर (फ्रिज) और डिशवॉशर पर कर की दर 18 फीसद होनी चाहिए। इनपुट कॉस्ट में हुआ इजाफा कीमतों को बढ़ा देता है जो कि बढ़ती कीमतों और मुद्रास्फीति के चक्र को जारी रखता है। सरकार रियल एस्टेट और हाउसहोल्ड आइटम्स पर लागू जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाकर इस सेक्टर को मजबूती और कीमतों को नियंत्रित कर सकती है।
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